किस किससे पूछूँ, किसका ऐतबार करूँ,
तू ही बता कब तक तेरा इंतज़ार करूँ ।
क़यामतें बीती जा रही हैं दीदार-ए-यार को,
तेरी तस्वीर से ही अब अपनी चाहत का इज़हार करूँ ।
जब भी मेरे दिल में तेरी यादों का तूफ़ान उठे,
तेरे कंगन से खेलूँ , तेरी पायल से झनकार करूँ ।
ना तुझसे कुछ कह सकूँ ना तुझसे कुछ सुन सकूँ ,
लफ़्ज़ों को ही अब अपनी तड़प का राज़दार करूँ ।
मैं तुझसे ना मिल सकूँ तो ना सही ,
किसी और से मिलने से भी मैं अब इनकार करूँ ।
मैं जब तक जिऊँ, मैं तब तक मरूँ ,
तू ही बता कब तक तेरा इंतज़ार करूँ ।