Monday 22 June 2015

प्रयास

भर-भर के पन्ने तोड़ दी कलमें ,
इतना मगा कि पड़ गए सदमें। 

किया यूज़ नीला कभी काला पैन ,
सजाया कॉपी को किया अंडरलैन।

सूरज उठा तब गए सोने को ,
मिला नहीं एक पल खोने को। 

किया नहीं कभी नैन-मटक्का ,
फोकस रखा करते थे पक्का। 

कुरुक्षेत्र और पढ़ी योजना ,
और हिन्दू को पड़ा चाटना।

निकल गयी तोंद  गिर गए बाल ,
 घिस-घिस के हो गए बुरे हाल। 

कर के मर गए अथक प्रयास ,
मंज़िल मिली न एक्को बार। 

फिर भी मन न मचलता है ,
जानता है, प्रयास ही सफलता है।