Friday, 16 May 2025

पाज़ेब

तेरे पाँव हसीं हैं ये उनकी ख़ता है 

क़ैद-ए-पाज़ेब उनकी यही सज़ा है 

पहनाऊँ भी मैं मनु उतारूँ भी मैं 

यही मेरी रज़ा है यही मेरी जज़ा है