Tuesday, 27 August 2024

सपने

चल पड़ा था,

दिल में हौसला,

इरादों में दम,

आँखों में कुछ सपने लिए । 


चलते-चलते,

भूल गया था जीना,

चले जा रहा था,

बस चलने की कसमें लिए । 


छाँव मिली,

साकार पनों ने,

याद दिलाया,

अब जीना है अपने लिए ।


Wednesday, 3 April 2024

अधूरी कहानी

ना दिन में चैन, ना रात की खबर,

ना एक पल को आराम, ना एक पल का सबर।

किरदारों के बीच हुई बातें रूहानी लगती हैं,

अब जाकर मुकम्मल हुई वो अधूरी कहानी लगती है।


टूटी फूटी यादें, फिर कुछ किस्से जोड़ा करती हैं,

फिर बातों की रफ़्तार को दिल की धड़कन तक मोड़ा करती हैं।

कभी उथली सी, कभी अंतरंग, कभी जिस्मानी लगती हैं,

अब जाकर मुकम्मल हुई वो अधूरी कहानी लगती है।


कभी लगे इस कहानी का अंत, कोई सार नहीं,

पर सारहीन इन प्रेमपुटों से होता किसको प्यार नहीं।

कभी मीरा, कभी हीर, कभी मस्तानी लगती हैं,

अब जाकर मुकम्मल हुई वो अधूरी कहानी लगती है।


वैसे तो साधारण है, पर अपने आप में खास है,

कुछ नए अध्याय और जोड़ने की जाने क्यों प्यास है।

इस कहानी को लिखने वाली, मनस्वी बेहद दीवानी लगती है,

अब जाकर मुकम्मल हुई वो अधूरी कहानी लगती है।

Wednesday, 25 January 2017

इंतज़ार

किस किससे पूछूँ, किसका ऐतबार करूँ,
तू ही बता कब तक तेरा इंतज़ार करूँ ।

क़यामतें बीती जा रही हैं दीदार-ए-यार को,
तेरी तस्वीर से ही अब अपनी चाहत का इज़हार करूँ ।

जब भी मेरे दिल में तेरी यादों का तूफ़ान उठे,
तेरे कंगन से खेलूँ , तेरी पायल से झनकार करूँ ।

ना तुझसे कुछ कह सकूँ ना तुझसे कुछ सुन सकूँ ,
लफ़्ज़ों को ही अब अपनी तड़प का राज़दार करूँ ।

मैं तुझसे ना मिल सकूँ तो ना सही ,
किसी और से मिलने से भी मैं अब इनकार करूँ ।

मैं जब तक जिऊँ, मैं तब तक मरूँ ,
तू ही बता कब तक तेरा इंतज़ार करूँ ।

Tuesday, 9 August 2016

रंजिश

कुन्ज-ए-दिल में छुपी एक रंजिश सी है,
राह-ए-हयात में मक़ाम हासिल न हुआ ।

क़त्ल तो अरमानों के हुए कई दफ़ा,
गिरफ़्तार मगर कोई क़ातिल न हुआ ।

फिरती रही किश्ती मीलों समंदर में,
बदकिस्मत के नसीब में साहिल न हुआ ।

टकराता रहा जाम महफ़िल में दोस्तों की,
कोई भी ग़म-ए-दिल से वाकिफ़ न हुआ ।

होंसला पूरा था मंज़िल मुकम्मल थी
सिम्त न मिली मालूम जानिब न हुआ ।

हुई मुलाक़ात यूँ तो राह में कई फनकारों से
दिल-ए-नादान फन-ए-ज़िन्दगी का माहिर न हुआ

नासमझ ने माने कानून सभी मैदान-ए-जंग के
बुतपरस्त भी इस ज़माने में काफिर न हुआ

गुहारें लगाता रहा मुद्दई मुंसिफ की कचहरी में
गवाह-ओ-सबूत इक भी हाज़िर न हुआ

ज़माने में है खूब चर्चा मेरी मोहब्बत का
उसका यूँ संगदिल हो जाना वाज़िब न हुआ

मेरी नाकामियों में मिलता है चैन-ओ-आराम उसे
खुदा का कोई बन्दा जहाँ में इतना ज़ालिम न हुआ

मोहब्बतें तो ‘मनु’ ने बहुत कीं बहुतों से कीं,
वफ़ा-ए-सनम इक भी हासिल न हुआ ।

Monday, 1 August 2016

The Feeling Called Love

Love favours,
For those who labour,
Silent perseverance,
No need for clamours.

Love happens,
Without permissions,
Pleasure and pain,
With limited remissions.

Love colors,
The life of lovers,
The sight of whom,
Although it blurs.

Love nurtures,
The soul of creatures,
And gets reborn,
In all its futures.

Love reminds,
To put behind,
The emptiness, the loneliness,
And the troubles of every kind.

Love creates,
What hate destroys
Warmth and completeness,
In all its ploys.

Love binds,
The two minds,
With divine brilliance,
No shields, no blinds.

Love teaches,
The heart it breaches,
To lose oneself,
When the other one reaches.

Love amuses,
For silly excuses,
Saves the moment
From unwanted recuses.

Love eludes,
Who deal in crudes,
It's a game of finesse,
Not for the shallow or the prudes.

Love hurts,
In little spurts,
Longing for the beloved,
Whose return it asserts.

Monday, 22 June 2015

प्रयास

भर-भर के पन्ने तोड़ दी कलमें ,
इतना मगा कि पड़ गए सदमें। 

किया यूज़ नीला कभी काला पैन ,
सजाया कॉपी को किया अंडरलैन।

सूरज उठा तब गए सोने को ,
मिला नहीं एक पल खोने को। 

किया नहीं कभी नैन-मटक्का ,
फोकस रखा करते थे पक्का। 

कुरुक्षेत्र और पढ़ी योजना ,
और हिन्दू को पड़ा चाटना।

निकल गयी तोंद  गिर गए बाल ,
 घिस-घिस के हो गए बुरे हाल। 

कर के मर गए अथक प्रयास ,
मंज़िल मिली न एक्को बार। 

फिर भी मन न मचलता है ,
जानता है, प्रयास ही सफलता है।





Sunday, 14 June 2015

अनुभूति


मोबाइल को फुल रिचार्ज कराके ,
बिना बात के बातें करना ,
बात फिर भी ख़त्म न होती ,
प्रथम प्रेम की अनुपम अनुभूति।

सारी रात करवट ले-लेकर,
खुली आंखोँ से स्वप्न देखना ,
नींद कभी न पूरी होती ,
प्रथम प्रेम की अनुपम अनुभूति।

बात-बात पर गुस्सा होकर ,
यूहीं रूठना और मनवाना ,
 हर पल मेरे हृदय को छूती ,
प्रथम प्रेम की अनुपम अनुभूति।

 प्रिय-विरह के दुःख में पिसकर ,
हर चेहरे में उसे देखना ,
मधुर मिलन के सपने बुनती ,
प्रथम प्रेम की अनुपम अनुभूति।